Uruguayan Air Force Flight 571 : 13 अक्टूबर 1972 को उरुग्वे वायु सेना का उड़ान 571, जो एक उरुग्वे रग्बी टीम को मॉन्टेवीडियो से सैंटियागो, चिली ले जा रहा था, अर्जेंटीना के एंडीज पर्वतों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह हादसा न केवल एक विमान दुर्घटना था, बल्कि मानव जीवटता और उत्तरजीविता की एक ऐसी कहानी थी, जिसने विश्व का ध्यान आकर्षित किया। 45 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से केवल 16 लोग 72 दिनों की भीषण परिस्थितियों में जीवित बच पाए। इस लेख में, हम इस हादसे के कारणों, उत्तरजीवियों की प्रेरणादायक कहानी, और इसके वैश्विक प्रभाव का गहन विश्लेषण करेंगे।
उड़ान 571 की शुरुआत
उरुग्वे वायु सेना की उड़ान 571 एक चार्टर्ड फेयरचाइल्ड FH-227D विमान थी, जिसे मॉन्टेवीडियो, उरुग्वे के ओल्ड क्रिश्चियन्स क्लब रग्बी टीम ने सैंटियागो, चिली में एक प्रदर्शनी मैच के लिए किराए पर लिया था। विमान में 40 यात्री और 5 चालक दल के सदस्य सवार थे, जिनमें रग्बी खिलाड़ी, उनके दोस्त, और परिवार के सदस्य शामिल थे। एक यात्री, ग्राज़िएला मारियानी, ने अपनी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए अंतिम क्षणों में टिकट खरीदा था। विमान का नेतृत्व अनुभवी पायलट कर्नल जूलियो सीज़र फेराडास कर रहे थे, जिनके पास 5,117 उड़ान घंटों का अनुभव था, और सह-पायलट लेफ्टिनेंट-कर्नल डांटे हेक्टर लागुरारा थे, जो प्रशिक्षण पर थे।
12 अक्टूबर 1972 को, विमान मॉन्टेवीडियो के कारास्को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रवाना हुआ, लेकिन खराब मौसम के कारण उसे मेंडोज़ा, अर्जेंटीना में रात बितानी पड़ी। अगले दिन, 13 अक्टूबर को दोपहर 2:18 बजे, विमान ने फिर से उड़ान भरी, लेकिन पायलटों ने एंडीज पर्वतों को पार करने के लिए एक कम ऊँचाई वाले प्लांचोन पास के रास्ते को चुना, क्योंकि विमान 22,500 फीट से अधिक ऊँचाई पर उड़ान नहीं भर सकता था।
दुर्घटना का कारण
दुर्घटना का प्रमुख कारण सह-पायलट लागुरारा की पायलटिंग में त्रुटि थी। उन्होंने गलती से यह मान लिया कि विमान क्यूरिको, चिली के ऊपर से गुजर चुका है, जो सैंटियागो के लिए उड़ान का टर्निंग पॉइंट था। वास्तव में, विमान अभी भी क्यूरिको से 60-69 किलोमीटर पूर्व में था। लागुरारा ने हवाई यातायात नियंत्रण से 18,000 फीट से 11,500 फीट तक उतरने की अनुमति मांगी, और उतरते समय बादलों से निकलने पर उन्हें सामने एक पर्वत दिखाई दिया। ऊँचाई बढ़ाने की कोशिश के बावजूद, विमान पर्वत से टकरा गया, जिसके परिणामस्वरूप दाहिना पंख, फिर बायाँ पंख, और अंत में पूँछ टूट गई। विमान का मुख्य हिस्सा एक हिमनद पर फिसलते हुए एक घाटी में रुक गया।
इस दुर्घटना में तत्काल 12 लोग मारे गए, और 33 लोग जीवित बचे, जिनमें से कई घायल थे। 11,500 फीट की ऊँचाई पर, बर्फीली और ठंडी परिस्थितियों ने उत्तरजीवियों के लिए जीवित रहना बेहद कठिन बना दिया।
उत्तरजीविता की चुनौतियाँ
उत्तरजीवियों को -30 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान, बर्फीले तूफानों, और भोजन की कमी का सामना करना पड़ा। दुर्घटना के बाद, उन्होंने विमान के मलबे में शरण ली, लेकिन 17वें दिन एक हिमस्खलन ने मलबे को दबा दिया, जिसमें आठ और लोग मारे गए। उत्तरजीवियों ने विमान के ट्रांजिस्टर रेडियो से सुना कि 10 दिन बाद खोज अभियान बंद कर दिया गया था, क्योंकि बर्फ में सफेद विमान का मलबा देखना मुश्किल था। यह खबर उनके लिए विनाशकारी थी।
भोजन की कमी ने उत्तरजीवियों को एक कठिन निर्णय लेने के लिए मजबूर किया: उन्होंने मृत यात्रियों के शरीर से भोजन प्राप्त करने का फैसला किया। यह निर्णय उनके धार्मिक विश्वासों के खिलाफ था, लेकिन उन्होंने इसे एक धार्मिक संस्कार, जैसे कि कम्युनियन, से जोड़ा। उत्तरजीवियों ने एक-दूसरे से वादा किया कि यदि उनकी मृत्यु हो जाती है, तो बाकी लोग उनके शरीर का उपयोग कर सकते हैं। यह निर्णय उनकी जीवित रहने की इच्छा का प्रतीक था।
बचाव के लिए साहसिक प्रयास
15 नवंबर को, चार उत्तरजीवियों ने मदद की तलाश में एक घाटी की ओर प्रस्थान किया, लेकिन उन्हें वापस लौटना पड़ा। इस अभियान में, उन्हें विमान की पूँछ मिली, जिसमें थोड़ा भोजन, दवाएँ, और कॉमिक पुस्तकें थीं। यह अनुभव उन्हें यह समझने में मददगार रहा कि मदद के लिए पश्चिम में पर्वत को पार करना होगा। नंदो पर्राडो, रोबेर्तो कानेसा, और एंटोनियो विज़िंटिन को दूसरा अभियान शुरू करने के लिए चुना गया। उन्होंने विमान के मलबे से इन्सुलेशन सामग्री का उपयोग करके एक स्लीपिंग बैग बनाया।
तीन दिन तक चलने के बाद, विज़िंटिन भोजन की कमी के कारण वापस लौट गए, लेकिन पर्राडो और कानेसा ने नौ और दिनों तक यात्रा की। मृत्यु की आशंका के बावजूद, उन्होंने एक नदी का अनुसरण किया और अंततः एक घाटी में पहुँचे, जहाँ उन्हें एक चिली के चरवाहे, सर्जियो कैटलन, ने देखा। पर्राडो ने एक संदेश लिखा: “मैं एक विमान से हूँ जो पर्वतों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। मैं उरुग्वे का हूँ। हम 10 दिन से चल रहे हैं। मेरे 14 दोस्त घायल हैं। हमें मदद चाहिए। हमारे पास भोजन नहीं है।” कैटलन ने तुरंत अधिकारियों को सूचित किया।
22 दिसंबर 1972 को, चिली वायु सेना के दो हेलीकॉप्टरों ने आधे उत्तरजीवियों को बचाया, और अगले दिन शेष लोगों को निकाला गया। इस बचाव अभियान को “एंडीज का चमत्कार” कहा गया।
वैश्विक प्रभाव और सांस्कृतिक महत्व
इस हादसे ने विश्वभर में ध्यान आकर्षित किया, विशेष रूप से उत्तरजीवियों के नरभक्षण के निर्णय के कारण। इस कहानी को कई किताबों, फिल्मों, और वृत्तचित्रों में चित्रित किया गया है, जैसे कि 1993 की फिल्म “अलाइव” और 2023 की नेटफ्लिक्स फिल्म “सोसाइटी ऑफ द स्नो”। नंदो पर्राडो ने अपनी पुस्तक “मिरेकल इन द एंडीज” में अपनी कहानी साझा की, और कई उत्तरजीवियों ने प्रेरक वक्ता के रूप में काम किया।
उत्तरजीवियों में से 14 अभी भी जीवित हैं, और वे हर साल 22 दिसंबर को एकत्रित होकर इस चमत्कारी बचाव को स्मरण करते हैं। रोबेर्तो कानेसा ने कहा कि इस अनुभव ने उन्हें जीवन की कठिनाइयों से निपटने और आत्मविश्वास की शक्ति सिखाई।
उरुग्वे वायु सेना उड़ान 571 की कहानी एक त्रासदी और चमत्कार दोनों है। यह मानव की जीवटता, साहस, और एकता की शक्ति को दर्शाती है। उत्तरजीवियों ने असंभव परिस्थितियों में भी उम्मीद नहीं खोई और अपने प्रियजनों तक लौटने का रास्ता खोज लिया। यदि आप इस कहानी से प्रेरित हैं, तो “सोसाइटी ऑफ द स्नो” या नंदो पर्राडो की पुस्तक पढ़कर इस अद्भुत कहानी को और गहराई से समझें। क्या आप इस कहानी से प्रेरित हैं? इस हादसे के बारे में और जानने के लिए संबंधित किताबें या फिल्में देखें और मानवता की इस प्रेरक कहानी को अपने दोस्तों के साथ साझा करें।















