Bageshwar Dham : बागेश्वर धाम मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित गदा गांव का एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है, जो भगवान हनुमान (बालाजी) को समर्पित है। यह स्थान आस्था, चमत्कारों और आध्यात्मिक मार्गदर्शन का प्रतीक बन चुका है, जहां लाखों श्रद्धालु अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें बागेश्वर धाम सरकार या बागेश्वर बाबा के नाम से जाना जाता है, इस धाम के पीठाधीश्वर हैं। यह धाम न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक कल्याण कार्यों के माध्यम से समाज की सेवा भी करता है। इस लेख में हम बागेश्वर धाम के इतिहास, महत्व, धीरेंद्र शास्त्री के जीवन और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
इतिहास और उत्पत्ति
Bageshwar Dham की दिव्य उत्पत्ति प्राचीन काल से जुड़ी हुई है, जब संतों और योगियों ने यहां तपस्या कर भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त की थी। यह स्थान दिव्य ऊर्जा का केंद्र बन गया। धाम की स्थापना धीरेंद्र शास्त्री के परदादा, संन्यासी बाबा द्वारा की गई थी, जो एक महान संत थे। उनके बाद उनके दादा और पिता ने इसकी सेवा की। वर्तमान में धीरेंद्र शास्त्री तीसरी पीढ़ी के रूप में इसकी देखभाल कर रहे हैं। धाम का मुख्य मंदिर पारंपरिक हिंदू वास्तुकला से सुसज्जित है, जिसमें जटिल नक्काशी, रंगीन भित्तिचित्र और पवित्र प्रतीक हैं। चारों ओर हरी-भरी हरियाली और शांत वातावरण श्रद्धालुओं को ध्यान और दिव्य अनुभूति प्रदान करता है।
धाम का नाम बागेश्वर बालाजी से लिया गया है, जो भगवान हनुमान का एक रूप है। यहां की मिट्टी में दिव्य शक्ति मानी जाती है, और श्रद्धालु यहां की मिट्टी को अपने साथ ले जाते हैं। धाम की स्थापना के पीछे की कथा यह है कि संन्यासी बाबा को बालाजी की प्रेरणा से यहां मंदिर बनाने का निर्देश मिला। समय के साथ यह स्थान चमत्कारों का केंद्र बन गया, जहां लोग अपनी पीड़ाओं से मुक्ति पाते हैं। आज यह धाम भारत और विदेशों से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं का आकर्षण केंद्र है।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचय
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को गदा गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता वेद राम शर्मा (रामकृपाल गर्ग) एक पुजारी थे, और माता धन देई (सरोज गर्ग) हैं। वे दो भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। बचपन गरीबी में बीता, कच्चे घर में रहते हुए। छोटी उम्र से ही वे गांववालों को कथाएं सुनाते थे। उन्होंने गांज गांव से स्कूली शिक्षा पूरी की और बाद में स्नातक किया।
उनकी आध्यात्मिक यात्रा रामभद्राचार्य जी महाराज के शिष्यत्व से शुरू हुई, जिनसे उन्होंने मंत्र दीक्षा ली। दादा गुरु की मृत्यु के बाद वे विचलित हुए, लेकिन बालाजी की कृपा से उन्होंने धाम की सेवा संभाली। वे महर्षि वाल्मीकि के कलखंड से प्राप्त विधि से लोगों के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में प्रेरणा प्राप्त करते हैं, बिना कोई जानकारी लिए। उनकी प्रसिद्धि सोशल मीडिया से बढ़ी, जहां उनके 75 लाख फॉलोअर्स हैं, जिसमें फेसबुक पर 34 लाख, यूट्यूब पर 39 लाख शामिल हैं। वे रामचरितमानस, शिव पुराण और हनुमान कथा का प्रचार करते हैं, और दुनिया भर में संतान संस्कृति को फैला रहे हैं।
आध्यात्मिक महत्व और प्रथाएं
बागेश्वर धाम का आध्यात्मिक महत्व चमत्कारों और आस्था में निहित है। यहां हर मंगलवार और शनिवार को ‘दिव्य दरबार’ आयोजित होता है, जहां शास्त्री जी श्रद्धालुओं की समस्याओं का निदान करते हैं, जैसे कि भूत-प्रेत से मुक्ति, बीमारियों का इलाज, यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां। वे बिना बोले लोगों की परेशानियां बताते हैं, जो बालाजी की कृपा मानी जाती है। धाम में ‘चमत्कारिक दरबार’ हजारों लोगों को आकर्षित करता है, जहां भावनात्मक उपचार और जीवन परिवर्तन की कहानियां सुनाई पड़ती हैं।
उत्सवों में हनुमान जयंती, नव रात्रि, दीवाली, राम नवमी और महा शिवरात्रि प्रमुख हैं। महा शिवरात्रि पर कन्या विवाह आयोजित होता है, जहां गरीब लड़कियों की शादी कराई जाती है। श्रद्धालु यहां साहस, समस्या समाधान और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। धाम में अन्नपूर्णा रसोई चलती है, जहां श्रद्धालुओं को मुफ्त भोजन मिलता है।此外, वैदिक गुरुकुल की स्थापना वैदिक अध्ययन और संस्कृत को बढ़ावा देती है।
सामाजिक योगदान
बागेश्वर धाम केवल धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक सेवा का माध्यम भी है। यहां गरीबों और असहाय लड़कियों के लिए वार्षिक विवाह समारोह होते हैं, जहां सभी खर्च धाम उठाता है। अन्नपूर्णा रसोई से लाखों लोग लाभान्वित होते हैं। शास्त्री जी ने 2021 में 300 लोगों को ईसाई धर्म से वापस हिंदू धर्म में लाने का दावा किया।他们的 प्रयास संतान संस्कृति को मजबूत करने और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में हैं।
विवाद और चुनौतियां
शास्त्री जी की प्रसिद्धि के साथ विवाद भी जुड़े हैं। उन पर अंधविश्वास और जादू-टोना फैलाने के आरोप लगे हैं। भारतीय तर्कवादी श्याम मानव ने उनकी शक्तियों को चुनौती दी, और ऑल इंडिया सुपरस्टिशन इराडिकेशन कमिटी ने नागपुर पुलिस में शिकायत दर्ज की। हालांकि, जांच के बाद 25 जनवरी 2023 को पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट दे दी।此外, उन्होंने एनसीईआरटी की किताब में ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। 25 जनवरी 2023 को मौत की धमकियों के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी सुरक्षा बढ़ाई। 23 जनवरी 2023 को उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने और रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने का नारा दिया, जिस पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आईं।
लोकप्रियता और प्रभाव
शास्त्री जी की लोकप्रियता अपार है। उनके वीडियो करोड़ों बार देखे जाते हैं। 22 जनवरी 2023 को दिल्ली के जंतर मंतर पर उनके समर्थन में प्रदर्शन हुए। वे युवा संत के रूप में उभरे हैं, जो आधुनिक माध्यमों से आस्था फैला रहे हैं। धाम पहुंचने के लिए छतरपुर रेलवे स्टेशन (25 किमी) और खजुराहो हवाई अड्डा (35 किमी) सुविधाजनक हैं। श्रद्धालुओं को समय पर पहुंचना, उचित वेशभूषा और नियमों का पालन करना चाहिए। बागेश्वर धाम आस्था का वह केंद्र है जहां चमत्कार, सेवा और संस्कृति का संगम है। धीरेंद्र शास्त्री जी के नेतृत्व में यह लाखों लोगों के लिए आशा की किरण बना हुआ है। हालांकि विवादों से गुजरते हुए, यह धाम हिंदू धर्म की मजबूती का प्रतीक है। श्रद्धालु यहां आकर जीवन की चुनौतियों से मुक्ति पाते हैं, और यह स्थान भारत की आध्यात्मिक विरासत को समृद्ध कर रहा है।















