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China Victory Parade 2025 : एक ऐतिहासिक प्रदर्शन

On: September 3, 2025 5:32 AM
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China Victory Parade 2025
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China Victory Parade 2025 : 3 सितंबर 2025 को, बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर में चीन ने द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और जापान के आत्मसमर्पण की 80वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए एक भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया। यह परेड, जिसे “विजय दिवस परेड” के रूप में जाना जाता है, न केवल चीन की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन थी, बल्कि यह एक वैश्विक कूटनीतिक मंच भी था, जिसमें 26 देशों के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया। इस परेड में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन, और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन जैसे प्रमुख नेताओं की उपस्थिति ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया। यह लेख इस ऐतिहासिक घटना के विभिन्न पहलुओं, इसके महत्व, और इसके वैश्विक प्रभावों पर प्रकाश डालता है।

परेड का ऐतिहासिक संदर्भ

China Victory Parade 2025 :  चीन की विजय दिवस परेड का आयोजन द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के खिलाफ चीन की जीत को स्मरण करने के लिए किया गया। चीन इसे “जापानी आक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध युद्ध” के रूप में संदर्भित करता है, जो 1931 में मंचूरिया पर जापानी आक्रमण के साथ शुरू हुआ और 1945 में जापान के आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ। इस युद्ध में लाखों चीनी नागरिकों और सैनिकों ने अपनी जान गंवाई, और यह परेड उन बलिदानों को सम्मान देने का एक प्रयास था।

हालांकि, यह परेड केवल ऐतिहासिक स्मृति तक सीमित नहीं थी। यह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के लिए एक अवसर था कि वह अपनी सैन्य शक्ति, तकनीकी प्रगति, और वैश्विक प्रभाव को प्रदर्शित करे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस अवसर पर तियानमेन स्क्वायर से एक महत्वपूर्ण भाषण दिया, जिसमें उन्होंने विश्व शांति, राष्ट्रीय संप्रभुता, और विकास के लिए चीन की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

सैन्य शक्ति का प्रदर्शन

परेड में 10,000 से अधिक सैनिकों, 100 से अधिक विमानों, और सैकड़ों उन्नत सैन्य उपकरणों ने हिस्सा लिया। इसमें जे-20 स्टील्थ फाइटर्स, हाइपरसोनिक मिसाइलें, ड्रोन, और चौथी पीढ़ी का एक नया मेन बैटल टैंक शामिल था, जो पहली बार दुनिया के सामने प्रदर्शित किया गया। इस टैंक में अनमैन्ड टर्रेट, उन्नत रडार, और ऑगमेंटेड रियलिटी तकनीक थी। इसके अलावा, परेड में 80 बिगुल वादकों ने 80 वर्षों का प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया, जो जापान के खिलाफ युद्ध की समाप्ति का जश्न मना रहा था।

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अपने आधुनिकीकरण के परिणामों को प्रदर्शित किया, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण और विश्व की सबसे शक्तिशाली लेजर हवाई रक्षा प्रणाली शामिल थी। यह प्रदर्शन न केवल सैन्य ताकत का प्रतीक था, बल्कि यह भी संदेश देता था कि चीन वैश्विक मंच पर एक उभरती हुई महाशक्ति है। यह परेड ताइवान जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर भी एक संदेश था, जहां विशेषज्ञों का मानना है कि यह ताइवान के प्रति “प्रतिरोध व्यर्थ है” का संदेश देता है।

China Victory Parade 2025
China Victory Parade 2025

कूटनीतिक महत्व और वैश्विक उपस्थिति

परेड में 26 विदेशी नेताओं की उपस्थिति ने इसे एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक आयोजन बना दिया। रूस के व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन, और ईरान के मसूद पेजेश्कियन की मौजूदगी ने पश्चिमी विश्लेषकों द्वारा इसे “उथल-पुथल का अक्ष” (Axis of Upheaval) करार दिया। यह पहली बार था जब शी जिनपिंग, पुतिन, और किम जोंग-उन एक साथ सार्वजनिक रूप से एक मंच पर दिखाई दिए, जो एक शक्तिशाली दृश्य संदेश था।

इसके अलावा, म्यांमार के जून्टा नेता मिन आंग ह्लाइंग, मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम, और मंगोलिया, इंडोनेशिया, जिम्बाब्वे, और मध्य एशियाई देशों के नेताओं ने भी इस आयोजन में भाग लिया। हालांकि, पश्चिमी देशों के प्रमुख नेताओं ने इस परेड से दूरी बनाए रखी, केवल स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको और सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक जैसे कुछ यूरोपीय नेता उपस्थित थे, जो रूस के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखते हैं।

यह परेड शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के साथ निकटता से जुड़ी थी, जो तियानजिन में आयोजित हुआ था। इसने चीन को अपने सहयोगियों के साथ कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान किया। विशेष रूप से, किम जोंग-उन की उपस्थिति ने उत्तर कोरिया के लिए एक कूटनीतिक जीत का संकेत दिया, क्योंकि यह 2011 में सत्ता संभालने के बाद उनका पहला बहुपक्षीय कूटनीतिक आयोजन था।

विवाद और ऐतिहासिक व्याख्या

परेड को लेकर कई विवाद भी सामने आए। जापान ने इस आयोजन को “जापान-विरोधी भावनाओं” को बढ़ावा देने वाला करार दिया और यूरोपीय और एशियाई नेताओं से इसमें भाग न लेने का आग्रह किया। जवाब में, चीन के विदेश मंत्रालय ने जापान के खिलाफ विरोध दर्ज किया। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों ने इस परेड को ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने का आरोप लगाया। उदाहरण के लिए, हडसन इंस्टीट्यूट ने दावा किया कि यह परेड सीसीपी को युद्ध में मुख्य लड़ाकू शक्ति के रूप में चित्रित करती है, जबकि वास्तव में नेशनलिस्ट सरकार और चियांग काई-शेक ने जापान के खिलाफ अधिकांश युद्ध लड़ा था।

चीन ने हाल के वर्षों में अपनी युद्धकालीन भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिश की है, जिसमें पश्चिमी सहयोगियों, विशेष रूप से अमेरिका, की भूमिका को कम करने का प्रयास शामिल है। चीनी विदेश मंत्रालय और सरकारी मीडिया ने इस बात पर जोर दिया कि चीन और सोवियत संघ ने एशिया और यूरोप में युद्ध के मुख्य रंगमंच के रूप में काम किया, जबकि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के योगदान को नजरअंदाज किया।

वैश्विक प्रभाव और भू-राजनीतिक संदेश

यह परेड केवल सैन्य प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि यह चीन की भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का एक स्पष्ट संदेश थी। शी जिनपिंग ने अपने भाषण में एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की वकालत की, जिसमें चीन एक प्रमुख भूमिका निभाए। पश्चिमी विश्लेषकों ने इसे अमेरिका के नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था के खिलाफ एक वैकल्पिक मॉडल के रूप में देखा।

परेड ने ताइवान के प्रति भी एक मजबूत संदेश दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रदर्शन ताइवान को यह संदेश देता है कि चीन की सैन्य शक्ति के सामने प्रतिरोध व्यर्थ है। ताइवान के अधिकारियों ने इस परेड की आलोचना करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करता है, क्योंकि युद्ध के दौरान ताइवान की नेशनलिस्ट सरकार ने जापान के खिलाफ मुख्य लड़ाई लड़ी थी।  चीन की विजय दिवस परेड 2025 एक ऐतिहासिक और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण आयोजन था। यह न केवल चीन की सैन्य शक्ति और तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन था, बल्कि यह वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने का एक प्रयास भी था। हालांकि, इस आयोजन ने ऐतिहासिक व्याख्याओं और कूटनीतिक संबंधों को लेकर विवादों को भी जन्म दिया। यह परेड चीन के बढ़ते प्रभाव और उसके सहयोगियों के साथ एकजुटता का प्रतीक थी, लेकिन साथ ही यह पश्चिमी देशों के साथ तनाव को भी उजागर करती थी।

Anand K.

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