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Hypersonic vs Ballistic Missiles: कौन सी मिसाइल है ज्यादा खतरनाक और विनाशकारी?

On: June 22, 2025 3:07 PM
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Hypersonic vs Ballistic Missiles
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आज के युग में मिसाइल टेक्नोलॉजी युद्ध की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। Hypersonic vs Ballistic Missiles की बहस ने हाल के वर्षों में खूब सुर्खियां बटोरी हैं, खासकर जब से रूस, चीन, अमेरिका, और भारत जैसे देश हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में जुटे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या हाइपरसोनिक मिसाइलें वाकई बैलिस्टिक मिसाइलों से ज्यादा खतरनाक हैं? क्या उनकी तबाही की क्षमता ज्यादा है? इस ब्लॉग में, हम Hypersonic vs Ballistic Missiles के बीच अंतर, उनकी स्पीड, रेंज, मैन्यूवरेबिलिटी, और डिस्ट्रक्शन कैपेबिलिटी की गहराई से तुलना करेंगे। साथ ही, FAQs के जरिए आपके सवालों के जवाब भी देंगे। आइए, इस टेक्नोलॉजी की दुनिया में गोता लगाएं!

बैलिस्टिक मिसाइल: क्या हैं ?

बैलिस्टिक मिसाइलें ऐसी मिसाइलें हैं जो एक तयशुदा परवलयिक (parabolic) ट्रैजेक्ट्री पर चलती हैं। ये मिसाइलें रॉकेट इंजन की मदद से अंतरिक्ष में ऊंचाई तक जाती हैं और फिर गुरुत्वाकर्षण के सहारे अपने लक्ष्य की ओर नीचे गिरती हैं। इनका उपयोग ज्यादातर लंबी दूरी के हमलों के लिए होता है, जैसे कि इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल्स (ICBMs) जो 5,500 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार कर सकती हैं। भारत की अग्नि-V, अमेरिका की Minuteman III, और रूस की Topol-M ऐसी ही मिसाइलें हैं।

बैलिस्टिक मिसाइलों की मुख्य विशेषताएं:

  • स्पीड: ये मिसाइलें री-एंट्री फेज में हाइपरसोनिक स्पीड (Mach 10-20) तक पहुंच सकती हैं।

  • ट्रैजेक्ट्री: ऊंची, परवलयिक उड़ान जो अंतरिक्ष से होकर गुजरती है।

  • मैन्यूवरेबिलिटी: ज्यादातर बैलिस्टिक मिसाइलें तय रास्ते पर चलती हैं और टर्मिनल फेज में सीमित मैन्यूवरेबिलिटी होती है, जैसे कि MaRV (Maneuverable Reentry Vehicle) में।

  • पेलोड: ये पारंपरिक या न्यूक्लियर वारहेड्स ले जा सकती हैं, जैसे कि MIRVs (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicles) जो एक मिसाइल से कई लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं।

तबाही की क्षमता:

बैलिस्टिक मिसाइलें, खासकर ICBMs, न्यूक्लियर वारहेड्स के साथ अत्यधिक विनाशकारी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, रूस की RS-28 Sarmat (Satan-2) 2 मेगाटन का न्यूक्लियर वारहेड ले जा सकती है, जो हिरोशिमा बम से 130 गुना ज्यादा शक्तिशाली है। इनकी लंबी रेंज और भारी पेलोड इन्हें सामरिक (strategic) हमलों के लिए खतरनाक बनाते हैं। हालांकि, इनकी तयशुदा ट्रैजेक्ट्री इन्हें मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स जैसे Aegis या THAAD के लिए आसान टारगेट बनाती है।

हाइपरसोनिक मिसाइल: नई पीढ़ी का हथियार

हाइपरसोनिक मिसाइलें वे हथियार हैं जो Mach 5 (ध्वनि की गति से पांच गुना तेज) या उससे ज्यादा स्पीड पर उड़ती हैं और वायुमंडल में मैन्यूवर कर सकती हैं। ये दो प्रकार की होती हैं:

  1. हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स (HGVs): रॉकेट बूस्टर से लॉन्च होकर वायुमंडल में ग्लाइड करती हैं, जैसे रूस की Avangard और चीन की DF-ZF

  2. हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल्स: स्क्रैमजेट इंजन से पावर्ड होती हैं, जैसे रूस की Zircon और भारत की BrahMos-II (विकास के चरण में)।

हाइपरसोनिक मिसाइलों की मुख्य विशेषताएं:

  • स्पीड: Mach 5 से Mach 25 तक, जो बैलिस्टिक मिसाइलों की री-एंट्री स्पीड के बराबर या कम हो सकती है।

  • ट्रैजेक्ट्री: निचली ऊंचाई (20-60,000 फीट) पर उड़ती हैं, जिससे रडार डिटेक्शन मुश्किल होता है।

  • मैन्यूवरेबिलिटी: ये मिड-फ्लाइट में रास्ता बदल सकती हैं, जिससे इन्हें इंटरसेप्ट करना लगभग असंभव हो जाता है।

  • पेलोड: पारंपरिक या न्यूक्लियर वारहेड्स ले जा सकती हैं, लेकिन इनका फोकस प्रिसीजन स्ट्राइक्स पर ज्यादा है।

तबाही की क्षमता:

हाइपरसोनिक मिसाइलों की खासियत उनकी गति और मैन्यूवरेबिलिटी में है, जो इन्हें मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स के लिए चुनौतीपूर्ण बनाती है। उदाहरण के लिए, चीन की DF-17 HGV अपने काइनेटिक प्रभाव से ही एक विमानवाहक पोत को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। इनकी प्रिसीजन और कम चेतावनी समय (15-30 मिनट) इन्हें सर्जिकल स्ट्राइक्स के लिए आदर्श बनाता है। हालांकि, इनका पेलोड बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में सीमित हो सकता है।

Hypersonic vs Ballistic Missiles
Hypersonic vs Ballistic Missiles

Hypersonic vs Ballistic Missiles: तुलना

पैरामीटर

बैलिस्टिक मिसाइल

हाइपरसोनिक मिसाइल

स्पीड

Mach 10-20 (री-एंट्री में)

Mach 5-25

ट्रैजेक्ट्री

ऊंची, परवलयिक, अंतरिक्ष से होकर

निचली, वायुमंडल में, मैन्यूवरेबल

मैन्यूवरेबिलिटी

सीमित (MaRV/MIRV में थोड़ी)

उच्च, मिड-फ्लाइट में रास्ता बदल सकती है

रेंज

300-12,000+ किमी (ICBM)

1,000-3,000+ किमी

डिटेक्शन

रडार से आसानी से डिटेक्ट हो सकती है

निचली उड़ान के कारण डिटेक्शन मुश्किल

पेलोड

भारी, न्यूक्लियर/पारंपरिक

हल्का, प्रिसीजन के लिए डिज़ाइन

डिफेंस

मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स से इंटरसेप्ट संभव

इंटरसेप्ट करना लगभग असंभव

तबाही की क्षमता: कौन सी मिसाइल ज्यादा खतरनाक?

Hypersonic vs Ballistic Missiles में तबाही की क्षमता की तुलना कई कारकों पर निर्भर करती है:

  • पेलोड और रेंज: बैलिस्टिक मिसाइलें, खासकर ICBMs, भारी न्यूक्लियर वारहेड्स ले जा सकती हैं, जो बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकती हैं। उदाहरण के लिए, एक MIRV-लोडेड ICBM कई शहरों को नष्ट कर सकता है। हाइपरसोनिक मिसाइलों का पेलोड सीमित होता है, लेकिन उनकी प्रिसीजन और स्पीड इन्हें हाई-वैल्यू टारगेट्स (जैसे विमानवाहक पोत या बंकर) के लिए घातक बनाती है।

  • मैन्यूवरेबिलिटी और डिफेंस: हाइपरसोनिक मिसाइलों की मैन्यूवरेबिलिटी इन्हें मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स के लिए लगभग अजेय बनाती है। बैलिस्टिक मिसाइलें, हालांकि तेज, अपनी तयशुदा ट्रैजेक्ट्री के कारण Patriot या S-400 जैसे सिस्टम्स से इंटरसेप्ट हो सकती हैं।

  • सर्जिकल स्ट्राइक्स: हाइपरसोनिक मिसाइलें कम चेतावनी समय और प्रिसीजन के कारण सर्जिकल स्ट्राइक्स के लिए बेहतर हैं। उदाहरण के लिए, भारत की DRDO द्वारा विकसित हाइपरसोनिक मिसाइल 1,500 किमी रेंज के साथ पिनपॉइंट एक्यूरेसी देती है।

  • लागत और जटिलता: हाइपरसोनिक मिसाइलों का विकास महंगा और टेक्नोलॉजिकली जटिल है। बैलिस्टिक मिसाइलें दशकों से उपयोग में हैं और अपेक्षाकृत सस्ती हैं।

भारत का परिदृश्य

भारत ने Hypersonic vs Ballistic Missiles की दौड़ में महत्वपूर्ण प्रगति की है। अग्नि-V (ICBM) और प्रिथ्वी (SRBM) जैसी बैलिस्टिक मिसाइलें भारत के सामरिक डिटरेंस का हिस्सा हैं। वहीं, DRDO ने 16 नवंबर 2024 को अपनी पहली लॉन्ग-रेंज हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो 1,500 किमी रेंज के साथ पेलोड डिलीवर कर सकती है। BrahMos-II, एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल, भी विकास के चरण में है। भारत का यह कदम उसे रूस, चीन, और अमेरिका जैसे देशों की श्रेणी में लाता है।

कौन सी मिसाइल ज्यादा खतरनाक?

Hypersonic vs Ballistic Missiles में यह कहना मुश्किल है कि कौन सी मिसाइल ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि यह मिशन के उद्देश्य पर निर्भर करता है। अगर बड़े पैमाने पर तबाही (जैसे न्यूक्लियर हमला) की बात हो, तो बैलिस्टिक मिसाइलें अपनी भारी पेलोड क्षमता के कारण ज्यादा विनाशकारी हैं। लेकिन अगर प्रिसीजन, कम चेतावनी समय, और मिसाइल डिफेंस को चकमा देने की बात हो, तो हाइपरसोनिक मिसाइलें ज्यादा खतरनाक हैं। दोनों ही मिसाइलें आधुनिक युद्ध में गेम-चेंजर हैं, और भारत जैसे देशों को दोनों टेक्नोलॉजी में निवेश बढ़ाना चाहिए।

आपके लिए कौन सी मिसाइल ज्यादा खतरनाक लगती है? नीचे कमेंट में अपनी राय शेयर करें!

FAQs: Hypersonic vs Ballistic Missiles

1. हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइल में मुख्य अंतर क्या है?

हाइपरसोनिक मिसाइलें Mach 5+ स्पीड पर वायुमंडल में मैन्यूवर कर सकती हैं, जबकि बैलिस्टिक मिसाइलें अंतरिक्ष में ऊंची ट्रैजेक्ट्री पर चलती हैं और सीमित मैन्यूवरेबिलिटी रखती हैं।

2. क्या हाइपरसोनिक मिसाइलें बैलिस्टिक से तेज हैं?

नहीं, बैलिस्टिक मिसाइलें (विशेषकर ICBMs) री-एंट्री में Mach 20 तक पहुंच सकती हैं, जो हाइपरसोनिक मिसाइलों (Mach 5-25) से बराबर या ज्यादा हो सकता है।

3. कौन सी मिसाइल ज्यादा विनाशकारी है?

बैलिस्टिक मिसाइलें भारी न्यूक्लियर पेलोड के कारण बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकती हैं, जबकि हाइपरसोनिक मिसाइलें प्रिसीजन स्ट्राइक्स के लिए ज्यादा प्रभावी हैं।

4. क्या हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोका जा सकता है?

इनकी मैन्यूवरेबिलिटी और निचली उड़ान के कारण इन्हें इंटरसेप्ट करना बहुत मुश्किल है। मौजूदा डिफेंस सिस्टम्स जैसे Aegis SBT कुछ हद तक प्रभावी हैं।

5. भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल की स्थिति क्या है?

DRDO ने 16 नवंबर 2024 को 1,500 किमी रेंज की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। BrahMos-II भी विकास के चरण में है।

6. क्या बैलिस्टिक मिसाइलें पुरानी टेक्नोलॉजी हैं?

नहीं, बैलिस्टिक मिसाइलें अभी भी सामरिक डिटरेंस के लिए महत्वपूर्ण हैं और MIRV जैसे उन्नत फीचर्स के साथ अपडेट हो रही हैं।

Anand K.

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