Kannappa Review : अगर आप भगवान शिव की भक्ति और पौराणिक कहानियों के दीवाने हैं, तो कन्नप्पा आपके लिए एक सिनेमाई तीर्थयात्रा है। 27 जून 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई यह तेलुगु माइथोलॉजिकल ड्रामा फिल्म, जिसे हिंदी, तमिल, कन्नड़ और मलयालम में डब किया गया है, दर्शकों के दिलों को छू रही है। विष्णु मांचू द्वारा लिखित और अभिनीत, मुकेश कुमार सिंह द्वारा निर्देशित, और मोहन बाबू द्वारा निर्मित यह फिल्म श्रीकालहस्ती मंदिर से जुड़े शिव भक्त कन्नप्पा की कथा को जीवंत करती है। इस Kannappa में, हम फिल्म की कहानी, प्रदर्शन, और तकनीकी पहलुओं पर गहराई से बात करेंगे, जो इसे अविस्मरणीय बनाते हैं।
कहानी: नास्तिक से शिव भक्त तक का सफर
Kannappa में सबसे पहले बात करते हैं इसकी कहानी की। फिल्म थिन्नाडु (विष्णु मांचू) के जीवन पर आधारित है, जो एक नास्तिक शिकारी है और मूर्तिपूजा को नहीं मानता। वह अपने गांव की परंपराओं और रीति-रिवाजों का मजाक उड़ाता है। लेकिन, कैलास में भगवान शिव (अक्षय कुमार) और देवी पार्वती (काजल अग्रवाल) उसकी हर हरकत पर नजर रखते हैं। थिन्नाडु की जिंदगी तब बदलती है जब वह नेमली (प्रीति मुखुंदन) से प्रेम करता है, जो उसकी भक्ति और विश्वास को प्रेरित करती है। कहानी धीरे-धीरे थिन्नाडु के शिव भक्त कन्नप्पा बनने की यात्रा को दर्शाती है, जिसमें वह अपनी आंखें तक भगवान को अर्पित कर देता है। अंतिम 40 मिनट का क्लाइमेक्स इतना भावनात्मक और शक्तिशाली है कि यह दर्शकों को आंसुओं में डुबो देता है, खासकर शिव भक्तों को।
प्रदर्शन: विष्णु मांचू और स्टार-कास्ट का जादू
Kannappa में कलाकारों का प्रदर्शन इस फिल्म की रीढ़ है। विष्णु मांचू ने थिन्नाडु के किरदार में अपनी जिंदगी झोंक दी है। उनका भावनात्मक प्रदर्शन, खासकर क्लाइमेक्स में, दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। कई समीक्षकों ने इसे उनकी अब तक की सर्वश्रेष्ठ परफॉर्मेंस बताया है। अक्षय कुमार ने भगवान शिव के रूप में तेलुगु सिनेमा में डेब्यू किया और उनकी शांत तीव्रता और आध्यात्मिक गहराई ने दर्शकों का दिल जीत लिया। प्रभास का रुद्र के रूप में 17 मिनट का कैमियो स्क्रीन पर आग लगा देता है, उनके डायलॉग और प्रेजेंस दर्शकों को उत्साहित करते हैं। मोहनलाल (किराता) और काजल अग्रवाल (पार्वती) के कैमियो भी कहानी को गहराई देते हैं। सरथकुमार, मोहन बाबू, और प्रीति मुखुंदन ने भी अपने किरदारों को बखूबी निभाया है।
तकनीकी पहलू: विजुअल्स और म्यूजिक का प्रभाव
Kannappa में तकनीकी पहलुओं की बात करें तो न्यूजीलैंड की खूबसूरत लोकेशन्स और सिनेमैटोग्राफी फिल्म को दृश्यात्मक रूप से शानदार बनाती हैं। स्टीफन देवासी का बैकग्राउंड म्यूजिक, खासकर क्लाइमेक्स और भक्ति गीतों में, कहानी के भावनात्मक प्रभाव को बढ़ाता है। हालांकि, कुछ दर्शकों ने पहले हाफ की धीमी गति और VFX की कमियों की शिकायत की है। फिर भी, सेकंड हाफ में कहानी अपनी रफ्तार पकड़ती है और अंत तक आपको बांधे रखती है।
क्या खास है?
Kannappa में यह फिल्म शिव भक्तों और पौराणिक कहानियों के प्रशंसकों के लिए एक खास अनुभव है। इसका क्लाइमेक्स, जो भक्ति और बलिदान की भावना को दर्शाता है, सालों तक आपके जेहन में रहेगा। प्रभास, अक्षय कुमार, और मोहनलाल जैसे सितारों की मौजूदगी इसे पैन-इंडिया अपील देती है। हालांकि, पहले हाफ की धीमी गति और कुछ कमजोर VFX इसे परफेक्ट होने से रोकते हैं। फिर भी, यह फिल्म अपनी ईमानदारी और भक्ति की भावना के लिए देखने लायक है।
देखें या न देखें?
Kannappa के आधार पर, अगर आप भगवान शिव की कहानियों और भक्ति से प्रेरित सिनेमा पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए है। यह एक ऐसी कहानी है जो आपको भावनात्मक रूप से जोड़ेगी और क्लाइमेक्स में आंसुओं के साथ छोड़ देगी। थिएटर्स में इसका अनुभव लेना न भूलें, क्योंकि यह एक सिनेमाई तीर्थयात्रा है जो शिव भक्तों के दिल को छूएगी।
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