होम ऑटोमोबाइल मार्केट खेल टेक्नोलॉजी पर्सनल फाइनेंस बिजनेस मनोरंजन लाइफस्टाइल मोटिवेशन शिक्षा और करियर हेल्थ और वेलनेस रेसिपी वेब स्टोरीज़ अन्य

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

---Advertisement---

Kim Jong Un arrives in China : एक ऐतिहासिक कूटनीतिक यात्रा

On: September 3, 2025 5:43 AM
Follow Us:
Kim Jong Un arrives in China
---Advertisement---

Kim Jong Un arrives in China : 3 सितंबर 2025 को, उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन ने बीजिंग, चीन में अपनी विशेष बख्तरबंद ट्रेन के माध्यम से प्रवेश किया। यह यात्रा 2011 में सत्ता संभालने के बाद उनकी पहली बहुपक्षीय कूटनीतिक भागीदारी थी, जिसमें वे चीन की विजय दिवस परेड में शामिल होने के लिए आए, जो द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की 80वीं वर्षगांठ को चिह्नित करती थी। इस परेड में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित 26 अन्य विश्व नेताओं की उपस्थिति ने इसे वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण घटना बना दिया। किम जोंग-उन की यह यात्रा न केवल उत्तर कोरिया की कूटनीतिक रणनीति को दर्शाती है, बल्कि यह वैश्विक भू-राजनीति में बदलते समीकरणों का भी प्रतीक है। यह लेख इस यात्रा के विभिन्न पहलुओं, इसके महत्व, और इसके वैश्विक प्रभावों पर प्रकाश डालता है।

Kim Jong Un की यात्रा का संदर्भ

Kim Jong Un arrives in China : किम जोंग-उन की यह यात्रा उनके 14 वर्षों के शासनकाल में छठी विदेश यात्रा थी और 2019 के बाद पहली बार चीन की यात्रा थी। उन्होंने अपनी विशेष बख्तरबंद ट्रेन से प्योंगयांग को 1 सितंबर को छोड़ा, जो धीमी गति (लगभग 60 किलोमीटर प्रति घंटा) से चलती है और इसमें भारी सुरक्षा व्यवस्था होती है। यह ट्रेन, जिसे “चलता हुआ किला” कहा जाता है, उत्तर कोरिया के नेताओं की पारंपरिक यात्रा का साधन रही है, जिसका उपयोग किम के पिता किम जोंग-इल और दादा किम इल-सुंग भी करते थे। इस ट्रेन में 90 डिब्बे, एक रेस्तरां, कॉन्फ्रेंस रूम, और लक्जरी सुविधाएँ जैसे फ्रेंच वाइन और लॉबस्टर की व्यवस्था शामिल है।

किम जोंग-उन के साथ उनकी बेटी किम जू-ए भी थीं, जिन्हें दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी ने उनकी संभावित उत्तराधिकारी के रूप में पहचाना है। यह उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा थी, जिसने उत्तर कोरिया के नेतृत्व में उत्तराधिकार के सवालों को और गहरा कर दिया। किम की पत्नी री सोल-जू और उनकी प्रभावशाली बहन किम यो-जोंग के भी यात्रा में शामिल होने की संभावना जताई गई।

विजय दिवस परेड में भागीदारी

Kim Jong Un की बीजिंग यात्रा का मुख्य उद्देश्य चीन की विजय दिवस परेड में भाग लेना था, जो 3 सितंबर को तियानमेन स्क्वायर में आयोजित हुई। यह परेड द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की 80वीं वर्षगांठ को समर्पित थी और इसमें 10,000 से अधिक सैनिकों, सैकड़ों विमानों, और उन्नत सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन हुआ। परेड में चीन ने अपने नए हथियार, जैसे डीएफ-5सी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल और हाइपरसोनिक मिसाइलें, प्रदर्शित कीं।

किम की उपस्थिति इस आयोजन में उत्तर कोरिया की कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करने का एक प्रयास थी। यह 1959 के बाद पहली बार था जब एक उत्तर कोरियाई नेता ने चीन की सैन्य परेड में भाग लिया। 2015 में, उत्तर कोरिया ने केवल अपने वरिष्ठ अधिकारी चोए रयोंग-हाए को भेजा था, जिससे किम की व्यक्तिगत उपस्थिति को एक महत्वपूर्ण कदम माना गया।

कूटनीतिक महत्व

Kim Jong Un की यह यात्रा कई मायनों में कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण थी। पहला, यह शी जिनपिंग, व्लादिमीर पुतिन, और किम जोंग-उन का पहला सार्वजनिक एकत्रीकरण था, जो पश्चिमी देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक था। पश्चिमी विश्लेषकों ने इसे “उथल-पुथल का अक्ष” करार दिया, जो चीन, रूस, और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते सहयोग को दर्शाता है।

दूसरा, यह यात्रा उत्तर कोरिया और चीन के बीच संबंधों को पुनर्जनन का संकेत देती है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के संबंधों में तनाव देखा गया था, विशेष रूप से उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर। हालांकि, किम की यह यात्रा और शी जिनपिंग द्वारा दी गई गर्मजोशी भरी मेजबानी ने संकेत दिया कि दोनों देश अपने संबंधों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। चीन उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और सहायता प्रदाता है, और किम संभवतः रूस-यूक्रेन युद्ध के अंत की स्थिति में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं।

तीसरा, किम की उपस्थिति ने उत्तर कोरिया को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाने का प्रयास किया। हाल के वर्षों में, उत्तर कोरिया ने रूस के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता दी है, विशेष रूप से यूक्रेन युद्ध में रूस को हथियार और सैनिकों की आपूर्ति करके। इस यात्रा ने उत्तर कोरिया को एक व्यापक गठबंधन में शामिल होने का अवसर प्रदान किया, जिसमें चीन और रूस जैसे शक्तिशाली सहयोगी शामिल हैं।

Kim Jong Un की बेटी की उपस्थिति

Kim Jong Un के साथ उनकी बेटी किम जू-ए की उपस्थिति ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय खुफिया सेवा (एनआईए) ने उन्हें किम के “सबसे संभावित उत्तराधिकारी” के रूप में पहचाना है। किम जू-ए, जो किशोरावस्था में हैं, ने काले सूट में अपने पिता के पीछे चलते हुए बीजिंग रेलवे स्टेशन पर कदम रखा। यह उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा थी, जिसने उत्तर कोरिया के नेतृत्व में उत्तराधिकार के सवालों को और गहरा कर दिया।

किम जू-ए की उपस्थिति को उत्तर कोरिया के आंतरिक प्रचार और कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। यह किम वंश की निरंतरता को प्रदर्शित करने का एक प्रयास हो सकता है, जो उत्तर कोरिया की राजनीति में एक महत्वपूर्ण तत्व है।

वैश्विक और क्षेत्रीय प्रभाव

Kim Jong Un की यात्रा और परेड में उनकी उपस्थिति ने कई वैश्विक और क्षेत्रीय प्रभाव उत्पन्न किए। पहला, यह यात्रा उत्तर कोरिया, चीन, और रूस के बीच एक संभावित त्रिपक्षीय गठबंधन की ओर इशारा करती है। हालांकि, तीनों नेताओं के बीच निजी त्रिपक्षीय बैठक की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन रूसी क्रेमलिन ने संकेत दिया कि पुतिन और किम के बीच एक द्विपक्षीय बैठक पर विचार किया जा रहा है।

दूसरा, यह यात्रा पश्चिमी देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, के लिए एक चेतावनी थी। उत्तर कोरिया ने हाल के वर्षों में अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को तेज किया है, और परेड से पहले किम ने एक नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ह्वासोंग-20) के इंजन का निरीक्षण किया था, जो अमेरिका तक पहुंचने में सक्षम है।

तीसरा, यह यात्रा क्षेत्रीय स्थिरता, विशेष रूप से कोरियाई प्रायद्वीप और ताइवान स्ट्रेट, पर प्रभाव डाल सकती है। उत्तर कोरिया ने हाल ही में मध्य पूर्व और ताइवान स्ट्रेट जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बयान जारी किए हैं, जिससे उसकी वैश्विक महत्वाकांक्षा स्पष्ट होती है। किम जोंग-उन की चीन यात्रा और विजय दिवस परेड में उनकी भागीदारी एक ऐतिहासिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी। यह न केवल उत्तर कोरिया की कूटनीतिक रणनीति को दर्शाता है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर चीन, रूस, और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते सहयोग का भी प्रतीक है।Kim Jong Un की उपस्थिति ने उत्तर कोरिया के नेतृत्व में उत्तराधिकार के सवालों को और गहरा कर दिया, जबकि परेड ने चीन की सैन्य और कूटनीतिक शक्ति को प्रदर्शित किया। यह यात्रा वैश्विक भू-राजनीति में बदलते समीकरणों का एक महत्वपूर्ण संकेत थी, जिसके दीर्घकालिक प्रभाव क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर पड़ सकते हैं।

Anand K.

Mixmasala.in (news3339) एक समर्पित हिंदी न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जहाँ हमारी अनुभवी लेखकों की टीम देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों, ट्रेंडिंग विषयों, राजनीति, तकनीक, खेल, मनोरंजन, करियर, स्वास्थ्य और धर्म से जुड़ी जानकारी आप तक पहुंचाती है — सरल भाषा और भरोसेमंद तथ्यों के साथ। हमारा उद्देश्य सिर्फ समाचार देना नहीं, बल्कि एक ऐसा डिजिटल मंच तैयार करना है जहाँ हर पाठक को उनकी रुचि के अनुसार सटीक, तथ्यात्मक और उपयोगी जानकारी मिले। हमारी टीम हर लेख को रिसर्च और सत्यापन के बाद प्रकाशित करती है, ताकि आपके पास पहुँचे सिर्फ़ सच्ची और काम की खबर।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Reply