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Prajwal Revanna Rape Scandal : Bengaluru की विशेष अदालत ने सुनाई आज उम्रकैद की सजा

On: August 2, 2025 1:42 PM
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Prajwal Revanna Rape Scandal
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प्रज्वल रेवन्ना मामला क्या है?

 Prajwal Revanna Rape Scandal : प्रज्वल रेवन्ना, पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के पोते, हाल ही में एक बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए हैं, जिसने कर्नाटक और भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। यह मामला, जिसे “प्रज्वल रेवन्ना बलात्कार कांड” के रूप में जाना जाता है, न केवल एक कानूनी विवाद है, बल्कि यह समाज में शक्ति के दुरुपयोग, राजनीतिक प्रभाव, और यौन हिंसा के मुद्दों को भी उजागर करता है। इस लेख में, हम इस मामले के तथ्यों, इसकी समयरेखा, कानूनी प्रक्रिया, और इसके सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों को गहराई से समझेंगे।

मामले की शुरुआत: कैसे सामने आया कांड?

प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोप 2024 में तब सामने आए जब हसन जिले में सैकड़ों पेन ड्राइव्स प्रसारित हुए, जिनमें कथित तौर पर उनके द्वारा रिकॉर्ड किए गए यौन शोषण के वीडियो थे। इन वीडियो में कई महिलाओं के साथ यौन हिंसा की घटनाएं थीं, जिनमें से कुछ को प्रज्वल ने स्वयं रिकॉर्ड किया था। यह कांड 2024 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले उजागर हुआ, जिसने हसन निर्वाचन क्षेत्र, जो जनता दल (सेक्युलर) का गढ़ रहा है, में राजनीतिक तूफान ला दिया। प्रज्वल, जो उस समय हसन से सांसद थे, ने इन आरोपों के बाद देश छोड़कर जर्मनी चले गए, जिसने और विवाद को हवा दी।

कानूनी प्रक्रिया और सजा

प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ चार मामले दर्ज किए गए, जिनमें बलात्कार, यौन उत्पीड़न, और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराध शामिल हैं। इनमें से एक मामले में, 1 अगस्त 2025 को, बेंगलुरु की विशेष सत्र अदालत ने उन्हें 47 वर्षीय घरेलू सहायिका के बलात्कार के लिए दोषी ठहराया। यह मामला रेवन्ना परिवार के गन्निकदा फार्महाउस में 2021 में हुई घटनाओं से संबंधित है, जहां पीड़िता को कथित तौर पर दो बार बलात्कार का शिकार बनाया गया और घटना को रिकॉर्ड किया गया।

2 अगस्त 2025 को, अतिरिक्त सिटी सिविल और सत्र न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने प्रज्वल को आजीवन कारावास और 10 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई, जिसमें से 7 लाख रुपये पीड़िता को मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे। यह फैसला 14 महीने की जांच और आठ सप्ताह की त्वरित सुनवाई के बाद आया, जो भारत में उच्च-प्रोफाइल यौन हिंसा मामलों में शायद ही देखा जाता है। विशेष जांच दल (SIT) ने 1800 पेज की चार्जशीट और 26 गवाहों की गवाही के आधार पर यह मामला मजबूत किया।

सबूत और जांच

SIT की जांच में कई महत्वपूर्ण सबूत सामने आए, जिनमें पीड़िता की साड़ी पर प्रज्वल का डीएनए, फोरेंसिक विश्लेषण से पुष्ट वीडियो, और 180 दस्तावेज शामिल थे। प्रज्वल ने दावा किया कि वीडियो छेड़छाड़ किए गए थे और उनके खिलाफ साजिश रची गई थी, लेकिन फोरेंसिक रिपोर्ट ने उनके दावों को खारिज कर दिया। SIT ने यह भी पाया कि प्रज्वल ने अपनी स्थिति और शक्ति का दुरुपयोग करते हुए कई महिलाओं का शोषण किया। उनकी गिरफ्तारी 31 मई 2024 को बेंगलुरु हवाई अड्डे पर हुई, जब वह जर्मनी से लौटे।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

प्रज्वल रेवन्ना कांड ने न केवल उनकी व्यक्तिगत और राजनीतिक छवि को धूमिल किया, बल्कि जनता दल (सेक्युलर) और उनके परिवार की प्रतिष्ठा पर भी गहरा प्रभाव डाला। प्रज्वल, जो 2019 में हसन से तीसरे सबसे युवा सांसद चुने गए थे, 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी सीट हार गए। इस कांड ने कर्नाटक की राजनीति में तीखी बहस छेड़ दी, जिसमें कांग्रेस और बीजेपी ने एक-दूसरे पर इस मामले को लेकर निष्क्रियता का आरोप लगाया।

सामाजिक स्तर पर, इस मामले ने यौन हिंसा के प्रति जागरूकता बढ़ाई और पीड़ितों को सामने आने के लिए प्रोत्साहित किया। SIT ने पीड़ितों से बिना डर के शिकायत दर्ज करने की अपील की थी, और एक ऑल-वुमन पुलिस टीम द्वारा प्रज्वल की गिरफ्तारी ने यह संदेश दिया कि कानून शक्तिशाली लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकता है।

भविष्य में क्या?

प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ तीन अन्य मामले अभी भी लंबित हैं, जिनमें बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोप शामिल हैं। इन मामलों का परिणाम उनकी सजा को और प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, इस कांड ने राजनीतिक जवाबदेही, यौन हिंसा के खिलाफ सख्त कानून, और पीड़ितों के लिए समर्थन प्रणाली की आवश्यकता पर बहस को तेज किया है।

एक सबक और जागरूकता

प्रज्वल रेवन्ना बलात्कार कांड ने यह दिखाया है कि शक्ति और प्रभाव का दुरुपयोग कितना खतरनाक हो सकता है। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में यौन हिंसा के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने का भी एक अवसर है। यदि आप इस मामले के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, या टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे विश्वसनीय समाचार स्रोतों की जांच करें। क्या आप इस मामले के सामाजिक या राजनीतिक प्रभावों पर अपने विचार साझा करना चाहेंगे? हमें कमेंट में बताएं!

Anand K.

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