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इजराइल-ईरान युद्ध की आहट: 6 परमाणु विशेषज्ञ और 4 टॉप कमांडर मारे गए, मध्य पूर्व में बढ़ा खतरा

On: June 13, 2025 2:57 PM
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Rising Tensions in the Middle East
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मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव

Rising Tensions in the Middle East ने एक बार फिर वैश्विक सुर्खियां बटोरी हैं, जब 13 जून 2025 को इजराइल ने ईरान पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए। इस हमले में ईरान के छह प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक और चार शीर्ष सैन्य कमांडर मारे गए, जिसने मध्य पूर्व के पहले से ही अस्थिर क्षेत्र में तनाव को और भड़का दिया है। इजराइल ने तेहरान और नतांज सहित कई सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया, जिसके बाद ईरान ने इसे “परमाणु आतंकवाद” करार देते हुए बदला लेने की धमकी दी है। आइए, इस हमले के कारणों, प्रभावों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से नजर डालें।

इजराइल का हमला: क्या हुआ?

13 जून 2025 की सुबह, इजराइल ने 200 फाइटर जेट्स के साथ ईरान के छह प्रमुख ठिकानों पर हमला किया, जिसमें नतांज परमाणु संयंत्र और तेहरान के सैन्य अड्डे शामिल थे। इस हमले में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वैज्ञानिक, जैसे फरेदून अब्बासी, मोहम्मद मेहदी तेहरांची, और अब्दुल हमीद मिनोउचहर, मारे गए। इसके अलावा, इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर हुसैन सलामी, कुद्स फोर्स के प्रमुख इस्माइल कानी, चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी, और एयरोस्पेस फोर्स के कमांडर आमिर अली हाजीजादेह की भी मौत हो गई। इजराइली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने इसे “आत्मरक्षा” का कदम बताया, जबकि ईरान ने इसे “युद्ध की घोषणा” करार दिया।

हमले के पीछे का कारण

Rising Tensions in the Middle East का प्रमुख कारण इजराइल और ईरान के बीच लंबे समय से चली आ रही शत्रुता है। ईरान का परमाणु कार्यक्रम, जिसे इजराइल और अमेरिका एक क्षेत्रीय खतरे के रूप में देखते हैं, इस हमले का मुख्य ट्रिगर रहा। हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने ईरान पर परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, क्योंकि ईरान 60% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन कर रहा था, जो परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त है। इसके अलावा, 1 अक्टूबर 2024 को ईरान द्वारा इजराइल पर 180 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला और हिजबुल्लाह जैसे प्रॉक्सी समूहों के जरिए इजराइल पर हमले ने तनाव को और बढ़ा दिया।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम को झटका

इजराइल के इस हमले ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। मारे गए वैज्ञानिक, जैसे फरेदून अब्बासी (ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के पूर्व प्रमुख) और मोहम्मद मेहदी तेहरांची (यूरेनियम संवर्धन विशेषज्ञ), ईरान के परमाणु हथियार विकास की रीढ़ थे। विशेषज्ञों का मानना है कि इन वैज्ञानिकों की मौत से ईरान का परमाणु कार्यक्रम 1-2 साल पीछे चला गया है। नतांज संयंत्र, जो यूरेनियम संवर्धन का केंद्र है, भी इस हमले में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ। ईरान ने इसे “परमाणु आतंकवाद” करार दिया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कार्रवाई की मांग की।

सैन्य कमांडरों की मौत और ईरान की प्रतिक्रिया

चार शीर्ष सैन्य कमांडरों की मौत ने ईरान की सैन्य क्षमता को भी गहरा झटका दिया। हुसैन सलामी और इस्माइल कानी जैसे कमांडर IRGC के महत्वपूर्ण नेता थे, जो ईरान की क्षेत्रीय रणनीति और प्रॉक्सी युद्धों को नियंत्रित करते थे। ईरान ने हमले के बाद पूरे देश में आपातकाल घोषित कर दिया और अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, जिसके कारण एयर इंडिया की एक फ्लाइट मुंबई लौट आई। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर इजराइल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की और कहा कि ईरान जवाबी हमले की योजना बना रहा है।

मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव और वैश्विक प्रभाव

Rising Tensions in the Middle East का असर केवल इजराइल और ईरान तक सीमित नहीं है। इस हमले ने वैश्विक तेल की कीमतों और व्यापार पर भी प्रभाव डाला है। मध्य पूर्व में तेल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र होने के कारण, तनाव बढ़ने से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर भारत जैसे आयात-निर्भर देशों पर पड़ेगा। इसके अलावा, अमेरिका ने इस हमले में अपनी गैर-संलिप्तता की बात कही, लेकिन क्षेत्र में अपने सैन्य ठिकानों को हाई अलर्ट पर रखा है। पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों ने इजराइल की निंदा की, जबकि सऊदी अरब और तुर्की ने तटस्थ रुख अपनाया।

निवेशकों और शेयर बाजार पर असर

Rising Tensions in the Middle East ने वैश्विक और भारतीय शेयर बाजारों में अस्थिरता पैदा की है। 13 जून 2025 को, BSE सेंसेक्स और NSE निफ्टी में गिरावट देखी गई, क्योंकि निवेशक तेल की कीमतों में उछाल और भू-राजनीतिक अनिश्चितता से चिंतित थे। तेल और गैस, रक्षा, और लॉजिस्टिक्स जैसे सेक्टरों में निवेशकों की रुचि बढ़ी, जबकि उपभोक्ता वस्तुओं और IT सेक्टर में बिकवाली देखी गई। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तनाव और बढ़ता है, तो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और भारतीय अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। X पर कई यूजर्स ने इस हमले को विश्व युद्ध की शुरुआत के रूप में देखा, जिसने बाजार की चिंताओं को और बढ़ा दिया।

निष्कर्ष: क्या यह विश्व युद्ध की शुरुआत है?

Rising Tensions in the Middle East ने एक बार फिर विश्व समुदाय को मध्य पूर्व के संकट की गंभीरता का एहसास कराया है। इजराइल का यह हमला ईरान के परमाणु और सैन्य ढांचे को कमजोर करने में सफल रहा, लेकिन इसने क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाल दिया है। ईरान के जवाबी हमले और संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे के उठने से स्थिति और जटिल हो सकती है। भारत जैसे देशों को तेल की कीमतों, व्यापार, और निवेश पर पड़ने वाले प्रभावों के लिए तैयार रहना होगा। इस समय सतर्कता और कूटनीतिक प्रयास ही इस संकट को नियंत्रित कर सकते हैं।

FAQs: इजराइल का ईरान पर हमला और मध्य पूर्व में तनाव से जुड़े सवाल

1. इजराइल ने ईरान पर हमला क्यों किया?

इजराइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, क्योंकि वह इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। 1 अक्टूबर 2024 के ईरानी मिसाइल हमले ने इस कार्रवाई को ट्रिगर किया।

2. इस हमले में कौन-कौन से परमाणु वैज्ञानिक मारे गए?

मारे गए वैज्ञानिकों में फरेदून अब्बासी, मोहम्मद मेहदी तेहरांची, अब्दुल हमीद मिनोउचहर, और तीन अन्य शामिल हैं, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख विशेषज्ञ थे।

3. किन सैन्य कमांडरों की मौत हुई?

IRGC कमांडर हुसैन सलामी, कुद्स फोर्स के प्रमुख इस्माइल कानी, चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी, और एयरोस्पेस फोर्स के कमांडर आमिर अली हाजीजादेह मारे गए।

4. इस हमले का मध्य पूर्व पर क्या असर होगा?

Rising Tensions in the Middle East के कारण तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, क्षेत्रीय संघर्ष बढ़ सकता है, और वैश्विक व्यापार प्रभावित हो सकता है।

5. ईरान ने इस हमले का जवाब कैसे दिया?

ईरान ने आपातकाल घोषित किया, हवाई क्षेत्र बंद किया, और संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई की मांग की। उसने जवाबी हमले की धमकी भी दी है।

6. क्या भारत पर इस तनाव का असर पड़ेगा?

हां, भारत पर तेल की बढ़ती कीमतों और शेयर बाजार की अस्थिरता के रूप में असर पड़ सकता है, क्योंकि भारत तेल आयात पर निर्भर है।

7. क्या यह तनाव विश्व युद्ध का कारण बन सकता है?

हालांकि विश्व युद्ध की आशंका अतिशयोक्ति हो सकती है, लेकिन Rising Tensions in the Middle East क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा हैं। कूटनीतिक समाधान जरूरी है।

Anand K.

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