Trump Tariff Shock : वर्तमान वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में, शेयर बाजार की अस्थिरता एक प्रमुख चिंता का विषय बनी हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए नए टैरिफ ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिसका सीधा असर भारतीय शेयर बाजार पर पड़ा है। अगस्त 2025 में, इन टैरिफों के कारण बाजार में व्यापक गिरावट देखी गई, जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी जैसे प्रमुख सूचकांक प्रभावित हुए। यह लेख इस विषय पर गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है कि शेयर बाजार की यह गिरावट कितने समय तक जारी रह सकती है, तथा ट्रंप टैरिफ से उत्पन्न तबाही के विभिन्न आयामों की जांच करता है। हम उपलब्ध आर्थिक डेटा, विशेषज्ञ राय और बाजार रुझानों के आधार पर इसकी अवधि का अनुमान लगाने का प्रयास करेंगे।
ट्रंप प्रशासन ने अगस्त 6, 2025 को एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें भारत से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया, जिससे कुल टैरिफ दर 50 प्रतिशत तक पहुंच गई। यह निर्णय मुख्य रूप से भारत द्वारा रूस से तेल और हथियार खरीदने के कारण लिया गया, जिसे अमेरिका ने अपनी विदेश नीति के विरुद्ध माना। इस नीति का प्रभाव तत्काल दिखाई दिया, जब अगस्त 27, 2025 से ये टैरिफ प्रभावी हुए, और भारतीय निर्यातकों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अनुमान है कि यह टैरिफ भारत के अमेरिका को निर्यात के लगभग 55 प्रतिशत हिस्से को प्रभावित करेगा, जो कुल 87 अरब डॉलर के माल निर्यात का एक बड़ा भाग है।
ट्रंप टैरिफ का पृष्ठभूमि और कारण
ट्रंप टैरिफ की नीति अमेरिका-प्रथम दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और विदेशी आयात पर निर्भरता कम करना है। 2025 में, ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर नए टैरिफों की घोषणा की, जिसमें चिप्स जैसे उत्पादों पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ शामिल है, हालांकि कुछ छूट की व्यवस्था भी की गई है। भारत के संदर्भ में, यह टैरिफ विशेष रूप से रूस से तेल आयात के कारण लगाया गया, जो 2025 के पहले छह महीनों में 6.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक है।
यह नीति केवल भारत तक सीमित नहीं है; वैश्विक बाजारों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। उदाहरण के लिए, अगस्त 1, 2025 को अमेरिकी बाजारों में गिरावट दर्ज की गई, जहां डाउ जोन्स 330 अंक नीचे गिरा, जबकि नैस्डैक में वृद्धि देखी गई। विशेषज्ञों का मानना है कि ये टैरिफ ‘स्नीकफ्लेशन’ का कारण बन रहे हैं, जहां आयातित वस्तुओं की कीमतें 5 प्रतिशत और घरेलू उत्पादों की कीमतें 3 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। भारत में, इसने निर्यात-निर्भर क्षेत्रों को प्रभावित किया, जिससे शेयर बाजार में अराजकता फैल गई।
भारतीय शेयर बाजार पर तत्काल प्रभाव
अगस्त 28, 2025 को, भारतीय शेयर बाजार में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। बीएसई सेंसेक्स 500 अंक गिरकर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी भी नीचे आया। यह गिरावट मुख्य रूप से नए टैरिफों के प्रभावी होने के कारण हुई, जो अगस्त 27 से लागू हुए। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, निफ्टी 24,500 के स्तर पर स्थिर रहा, लेकिन आगे की अनिश्चितता बनी हुई है।
प्रभावित क्षेत्रों में टेक्सटाइल, केमिकल्स, सीफूड, जेम्स और ज्वेलरी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, गोकालदास एक्सपोर्ट्स, अवंति फीड्स और एसआरएफ जैसी कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। निर्यातक समूहों का अनुमान है कि प्रभावित क्षेत्रों से निर्यात 70 प्रतिशत तक कम हो सकता है। वैश्विक स्तर पर, ट्रंप टैरिफों ने अमेरिकी जीडीपी को 0.3 प्रतिशत तक कम करने का अनुमान लगाया गया है, जो 2025 में 2 प्रतिशत की वृद्धि तक सीमित रह सकती है।
गिरावट की अवधि: विशेषज्ञ अनुमान और पूर्वानुमान
प्रश्न यह है कि शेयर बाजार की यह गिरावट कितने समय तक जारी रहेगी। विशेषज्ञों की राय में, यह एक अल्पकालिक दर्द है, जो बाजार द्वारा धीरे-धीरे समाहित किया जा रहा है। अप्रैल 2025 में, ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ वृद्धि को अस्थायी रूप से रोका, जिससे बाजार में रैली आई और प्रमुख अमेरिकी सूचकांकों में वृद्धि हुई। इसी प्रकार, वर्तमान गिरावट भी अस्थायी हो सकती है, क्योंकि बाजार टैरिफों की आशंकाओं से उबरते हुए रैली की ओर बढ़ते देखे गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2025 के लिए वैश्विक विकास दर को 3.1 प्रतिशत अनुमानित किया है, जबकि अमेरिका में यह 2 प्रतिशत तक सीमित रह सकती है। दीर्घकालिक रूप से, ट्रंप टैरिफ जीडीपी को 6 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं और मजदूरी को 5 प्रतिशत प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, बाजार की लचीलापन दिखाई दे रही है; उदाहरण के लिए, नवंबर 2024 से अगस्त 2025 तक एसएंडपी 500 में 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई।
भारत के संदर्भ में, गिरावट की अवधि 3-6 महीनों तक रह सकती है, यदि टैरिफों में कोई संशोधन नहीं होता। जेपी मॉर्गन के विश्लेषण के अनुसार, 5 प्रतिशत स्थायी टैरिफ 2025 की दूसरी छमाही में विकास दर को बढ़ा सकता है, लेकिन कोर सीपीआई को कम करेगा। यदि भारत और अमेरिका के बीच बातचीत सफल होती है, तो गिरावट शीघ्र समाप्त हो सकती है। अन्यथा, यह 2026 तक प्रभावी रह सकती है, जब टैरिफों का पूर्ण प्रभाव दिखाई देगा।
वैश्विक और भारतीय प्रतिक्रिया
ट्रंप टैरिफों से उत्पन्न अराजकता ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। अमेरिकी उपभोक्ताओं पर इसका बोझ बढ़ रहा है, क्योंकि भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ से कीमतें बढ़ेंगी। भारत सरकार इस प्रभाव को कम करने के लिए दो प्रमुख रणनीतियां अपनाने की योजना बना रही है: घरेलू खपत को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भरता पर जोर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया है, जिससे आंतरिक बाजार निर्यात हानि को समाहित कर सके।
इसके अतिरिक्त, भारत अन्य बाजारों जैसे यूरोप और एशिया में निर्यात विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। रॉयटर्स के अनुसार, भारत टैरिफों के प्रभाव को कम करने के लिए कुशनिंग उपाय अपनाएगा। यह रणनीति गिरावट की अवधि को सीमित करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
निवेशकों के लिए सलाह और जोखिम प्रबंधन
निवेशकों को इस अस्थिरता में सतर्क रहना चाहिए। विविधीकरण महत्वपूर्ण है; घरेलू-केंद्रित क्षेत्रों जैसे कंज्यूमर गुड्स और आईटी में निवेश को प्राथमिकता दें, जबकि निर्यात-निर्भर स्टॉक्स से दूरी बनाएं। बाजार रणनीतिकारों का सुझाव है कि टैरिफों में अवसर भी छिपे हैं, जैसे घरेलू उत्पादन बढ़ाने वाली कंपनियां। दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से बाजार ऐसी चुनौतियों से उबरते हैं। पेशेवर सलाह लें और बाजार की निगरानी करें। यदि टैरिफों में छूट मिलती है, तो रिकवरी तेज हो सकती है।ट्रंप टैरिफ से उत्पन्न शेयर बाजार की गिरावट एक जटिल मुद्दा है, जो वैश्विक व्यापार नीतियों से जुड़ा है। उपलब्ध अनुमानों के आधार पर, यह गिरावट अल्पकालिक (3-6 महीने) रह सकती है, लेकिन यदि टैरिफ स्थायी रहते हैं, तो 2026 तक प्रभाव जारी रह सकता है। भारत की मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था और सरकारी उपाय इस प्रभाव को कम करने में सहायक होंगे। निवेशकों को धैर्य और रणनीतिक योजना के साथ आगे बढ़ना चाहिए, ताकि इस अराजकता को अवसर में बदल सकें। कुल मिलाकर, बाजार की लचीलापन आशा की किरण प्रदान करती है, लेकिन अनिश्चितता बनी हुई है।
नोट: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है, और निवेश निर्णय लेने से पहले पेशेवर वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना आवश्यक है। लेख में प्रस्तुत जानकारी उपलब्ध डेटा और विश्लेषण पर आधारित है, और इसमें व्यक्त की गई राय लेखक की है। बाजार की अस्थिरता और अप्रत्याशित घटनाओं के कारण परिणाम भिन्न हो सकते हैं। लेखक या प्रकाशक निवेश से होने वाले किसी भी लाभ या हानि के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। कृपया ऐसी कोई व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें जो आपकी पहचान उजागर करे।










